tag:blogger.com,1999:blog-8369478421387942949.post7562743583386814425..comments2023-09-24T16:54:52.626+05:30Comments on मन का कैनवस: अनागतTulika Sharmahttp://www.blogger.com/profile/17357400542674169759noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8369478421387942949.post-75688936381781981002012-02-23T01:00:59.558+05:302012-02-23T01:00:59.558+05:30यही तो मुहब्बत है निधि ...दिल कुछ और कहता है ...दि...यही तो मुहब्बत है निधि ...दिल कुछ और कहता है ...दिमाग कुछ और ..जुबां कुछ और ही अफसाना बयान करती है ...वैसे इस कविता के अंत को कुछ यूं भी लिखा है दोबारा से <br /><br />इस तरह सज धज कर<br />तैयार है तन और मन<br />निहार रही हूँ दरवाज़े को<br />ये भी पता है ...<br />कि तुम नहीं आओगे<br />इस तरफ कभी<br />पर भरोसा<br />इस बात पर भी है<br />"ना जाने किस भेस में<br />नारायण मिल जाएँ "Tulika Sharmahttps://www.blogger.com/profile/17357400542674169759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8369478421387942949.post-42777888229429285012012-02-23T00:57:15.964+05:302012-02-23T00:57:15.964+05:30तुम नहीं आओगे इस तरफ कभी ..ये जानते हुए मुहब्बत नि...तुम नहीं आओगे इस तरफ कभी ..ये जानते हुए मुहब्बत निभाना असाधारण ही है न KC..Tulika Sharmahttps://www.blogger.com/profile/17357400542674169759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8369478421387942949.post-44681335316055906432012-02-23T00:54:35.456+05:302012-02-23T00:54:35.456+05:30इस चिर प्रतीक्षा से होने वाले प्रेम को तुम पहचान प...इस चिर प्रतीक्षा से होने वाले प्रेम को तुम पहचान पायी ....अंतहीन इंतज़ार से होने वाली मुहब्बत ...बिना किसी प्रतिकार की आशा के अंतहीन होती है ..आभारTulika Sharmahttps://www.blogger.com/profile/17357400542674169759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8369478421387942949.post-222878054730966042012-02-23T00:04:40.566+05:302012-02-23T00:04:40.566+05:30यह पता होने पे कि अगला नहीं आएगा...उसकी प्रतीक्षा ...यह पता होने पे कि अगला नहीं आएगा...उसकी प्रतीक्षा करना..बाट जोहना ही प्यार है.यह जो तन-मन को तैयार किया गया है..बहुत खूबसूरत लग रहे हैं ,दोनों.खासतौर पे माथे की कुमकुम ..सुर्ख ओढनी की छीटें .<br />बालों को खुला छोडना ...आरसी चमकाना ..कुछ न कहते हुए भी बहुत कुछ कह देते हैं.<br />यह कविता कोमल सी है....पढ़ के मन में यही आया कि काश ...जो पता है..वो गलत हो जाए ...इंतज़ार खत्म हो जाये ...वो समक्ष आ के खडा हो जाए .Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8369478421387942949.post-8733416018649760222012-02-22T21:21:00.257+05:302012-02-22T21:21:00.257+05:30पर नहीं जोह रही तुम्हारी बाट
क्योंकि पता है ...
तु...पर नहीं जोह रही तुम्हारी बाट<br />क्योंकि पता है ...<br />तुम नहीं आओगे<br />इस तरफ कभी ....तुम्हारे इंतज़ार से भी प्रेम है मुझे यह जानते हुए भी कि तुम नहीं आओगे कभी ,तुम्हारा यह इंतज़ार ही तो मेरी रूह का सुकून है ,मेरी ऊर्जा ,मेरी आशा .... बहुत सुंदर लिखा तूलिकाMerakihttps://www.blogger.com/profile/00304505624061842867noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8369478421387942949.post-917699697345593082012-02-22T21:11:35.197+05:302012-02-22T21:11:35.197+05:30प्रेम सदैव असाधारण होता है.... क्योंकि पता है तुम ...प्रेम सदैव असाधारण होता है.... क्योंकि पता है तुम नहीं आओगे कभी इस तरफ. <br /><br />बहुत अच्छी कविता.के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.com