tag:blogger.com,1999:blog-8369478421387942949.post8756493685205975521..comments2023-09-24T16:54:52.626+05:30Comments on मन का कैनवस: दो बोल ..प्यार केTulika Sharmahttp://www.blogger.com/profile/17357400542674169759noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8369478421387942949.post-86144701809145307952012-08-13T21:24:52.366+05:302012-08-13T21:24:52.366+05:30अनु इस प्यार को बनाए रखना :)अनु इस प्यार को बनाए रखना :)Tulika Sharmahttps://www.blogger.com/profile/17357400542674169759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8369478421387942949.post-71595440843132730822012-03-31T13:14:56.562+05:302012-03-31T13:14:56.562+05:30आपकी लेखनी से प्यार हो गया लगता है हमें....
बहुत ख...आपकी लेखनी से प्यार हो गया लगता है हमें....<br />बहुत खूब...<br />अनुANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8369478421387942949.post-31943353985999872912012-03-13T10:30:09.247+05:302012-03-13T10:30:09.247+05:30ये बात बिलकुल नहीं है निधि ..प्यार तो उस नशे की तर...ये बात बिलकुल नहीं है निधि ..प्यार तो उस नशे की तरह है जिसमे डुबोए रखने की ताकत होती है ...कोई आजन्म डूबे रह सकता है ...मगर ये एकतरफा ,अपने हिस्से का प्रेम हुआ न . ये दो बोल तो उसके हिस्से से चाहिए जो डूबे रहने के लिए संजीवनी हो जाएँ ...लड़ने के लिए शक्ति हो जाएँ ...बीमार के लिए दवा हो जाएँ <br /><br />जिजीविषा हाईबर्नेशन की किसी भी गहराई में क्यों न चली जाये ..प्रेम की इंसानी फितरत उसे खीच कर बाहर निकाल ही लेती है <br /><br />और अंत में ...लिख ही रही हूँ मेरी जान,ये मेरा लिखना खुद से लड़ना, जिजीविषा को हाईबर्नेशन से निकालना ही तो हैTulika Sharmahttps://www.blogger.com/profile/17357400542674169759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8369478421387942949.post-66615259878686349052012-03-04T01:49:14.769+05:302012-03-04T01:49:14.769+05:30धन्यवाद सुषमाधन्यवाद सुषमाTulika Sharmahttps://www.blogger.com/profile/17357400542674169759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8369478421387942949.post-26874148891994939452012-03-03T21:56:11.375+05:302012-03-03T21:56:11.375+05:30बहुत खुबसूरत प्यार का गीत.....बहुत खुबसूरत प्यार का गीत.....विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8369478421387942949.post-91222333340707128882012-03-03T19:35:46.806+05:302012-03-03T19:35:46.806+05:30तुम कितनी संतोषी हो ..यार.!!दो बोल ..काफी हैं तुम्...तुम कितनी संतोषी हो ..यार.!!दो बोल ..काफी हैं तुम्हारे लिए .चलो,कोई तो है जो कम में भी संतोष कर लेता है..आजकल तो सबके साथ यही दिक्कत है कि या तो सब चाहिए या कुछ भी नहीं.<br />तूलिका.....वाकई कभी-कभी जब आप अकेले हों..टूट रहे हों...बिखर रहे हों तो ज़रा सा सहारा भी सब बदल देता है...उस जिजीविषा को जाग्रत कर देता है जो कहीं हाईबेर्नेशन में चली गयी होती है .<br />वैसे तुम कहो तो मैं कुछ कहूँ................अरे वो दो बोल नहीं...मेरी जान.बस,यह कि ......अच्छा लिख रही हो,बहुत....दूसरी तरह कहो तो मुझे अच्छा लगता है तुम्हारा लिखा,पढ़ना .Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.com