रास्ते तो एक ही थे
फिर ये फ़ासले
क्यूँ गढ़ लिए
कदम बढ़ा कर कभी
कभी
फ़ासले पाट भी दिया
करो
वरना अजनबीपन की
नागफ़नी
उग जायेगी बीच में
हाथ बढ़ाना भी
चाहोगे
तो चुभन होगी ....
बहुत मोड़ हैं न
रास्ते में
नेह डोर से बंध कर
रहना बस
वरना अगर मुड़ गए
तो वक्त नहीं देगी
ज़िन्दगी उतना
जितना पहले दिया
हाथों का खालीपन
तो सह लोगे
दिल के अकेलेपन से
हार जाओगे
यकीनन !!