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मंगलवार, 30 जुलाई 2013

फ़ासले



रास्ते तो एक ही थे
फिर ये फ़ासले क्यूँ गढ़ लिए
कदम बढ़ा कर कभी कभी
फ़ासले पाट भी दिया करो
वरना अजनबीपन की नागफ़नी
उग जायेगी बीच में
हाथ बढ़ाना भी चाहोगे
तो चुभन होगी ....
बहुत मोड़ हैं न रास्ते में
नेह डोर से बंध कर रहना बस
वरना अगर मुड़ गए
तो वक्त नहीं देगी ज़िन्दगी उतना
जितना पहले दिया
हाथों का खालीपन तो सह लोगे
दिल के अकेलेपन से हार जाओगे
यकीनन !!






6 टिप्‍पणियां:

  1. वाकई...फासले आपसी मिठास , आपसी तालमेल को भी रौंध देते हैं...इनसे जितना बच सको बचो.....

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  2. दिल का एकाकीपन असहनीय है ,यक़ीनन !
    latest post होली

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  3. फासले रीश्तों में मिठास को कम कर देते है
    फिर दिल का एकाकीपन..कोमल भावपूर्ण रचना...

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  4. सच यही है ..एक रास्ता होने पर भी...साथ साथ चलना हमेशा संभव नहीं हो पाता .न चाहते हुए भी धीरे धीरे बीच में फासले अपनी पैठ बना लेते हैं .पता है ,यह जो नागफनी है न अजनबीपन की, अधिकांशतः स्नेह की डोर तक को अपने में उलझा लेती है.....
    ज़िंदगी कहाँ वक्त देती है,यार ?इसी वक्त का ही तो सारा रोना है.हाथों का खालीपन का भी जब जब एहसास होता है तो बुरा हाल होता है पर हाँ दिल का खालीपन तो जानलेवा है

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  5. सच में फासले जीवन में त्रासदी पैदा करते हैं।

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  6. सच में फासले जीवन में त्रासदी पैदा करते हैं।

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