चाँद को बस एक बार
पेशानी पर सजाया था
उमर भर का दाग हो गया ...
माथे की लकीरों में भी
इक अगन उतर आयी है .
सबके लेखे में
कहाँ होती है चाँद की रोशनी...
सारे ग्रह-नक्षत्र सही राह चल भी दें
पर चाँद की फ़सल नहीं काट पाते.
किस्मत के सितारे जो रोपने हों
तो चाँद का सीना मत खोदना
कलेजे पर लगी चोट का
अंदाज़ा तो होगा ही तुम्हें...
टांग देना चाँद को
हथेलियों से गोल करके
आसमान के ब्लैक-बोर्ड पर
लाईट हाउस सा चमकेगा
तो सितारे किस्मत की राह
ढूंढ पायें शायद ...
टांग देना चाँद को
जवाब देंहटाएंहथेलियों से गोल करके
आसमान के ब्लैक-बोर्ड पर
लाईट हाउस सा चमकेगा
तो सितारे किस्मत की राह
ढूंढ पायें शायद ...उफ़ अदभुत पंक्तियाँ ! बहुत सुन्दर बहुत ही सुन्दर रचना तुलिका !!
सरोज जी आभार
हटाएंकिस्मत के सितारे जो रोपने हों
जवाब देंहटाएंतो चाँद का सीना मत खोदना
कलेजे पर लगी चोट का
अंदाज़ा तो होगा ही तुम्हें...
किस्मत के सितारों को अपने दामन में ही टांके
तो शायद कुछ टांकों की चुभन भी महसूस हो ....!!
बहुत सुंदर ....!!
पूनम जी शुक्रिया ...पसंद करने के लिए
हटाएंटांग देना चाँद को
जवाब देंहटाएंहथेलियों से गोल करके
आसमान के ब्लैक-बोर्ड पर
लाईट हाउस सा चमकेगा
तो सितारे किस्मत की राह
ढूंढ पायें शायद ...ख्याल अच्छा है
बहुत शुक्रिया ..रश्मिप्रभा जी
हटाएंबहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना..... भावो का सुन्दर समायोजन......
जवाब देंहटाएंसुषमा जी आभार
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - कहीं छुट्टियाँ ... छुट्टी न कर दें ... ज़रा गौर करें - ब्लॉग बुलेटिन
बहुत शुक्रिया शिवम जी
हटाएंटांग देना चाँद को
जवाब देंहटाएंहथेलियों से गोल करके
आसमान के ब्लैक-बोर्ड पर
लाईट हाउस सा चमकेगा .................मुझे तो इतने सुंदर लिखे की तारीफ करना भी नहीं आता | चाँद खुश होगा इस तजुर्बे से ....मैं तो हूँ ही छुटकी |
चाँद खुश हो न हो ...मैं ज़रूर खुश हो गयी हूँ आपकी तारीफ़ से
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंतूलिका.....अच्छा लिखा है...तूलिका मार्का है.बिम्बों की खूबसूरती ,नयापन अच्छा लगा .सितारे किस्मत की राह जल्द से जल्द ढूंढें..अपनी जल बुझ से तुम्हें और परेशां न करें..यही दुआ है.ऐसा ही लिखती रहो ,हमेशा.
जवाब देंहटाएंतुम्हारी इस कविता को पढ़ के जो मन में आया वो लिखे दे रही हूँ...तुम्हारी हर बात से उलट..हर बात को नकारता हुआ .
शायद ...
सही कहा तुमने ...शायद
किसी चीज़ का कोई भरोसा नहीं है
और फिर इस मुए चाँद का तो कतई नहीं
रोज तो घटता बढ़ता रहता है .
चाँद को तुम टांगना
हाथ से गोल कर .
मुझे जो जैसा है
वैसा पसंद है .
मुझे बदलाव मंजूर नहीं
काटना छांटना बस का नहीं .
किस्मत के सितारे
होते गर साथ हमारे
तो यह हाल ही होता क्यूँ
मैं उसको ,वो मुझको
खोता ही क्यूँ ????
जो मेरा है,हर हाल मिलेगा मुझे
किसी सर्च लाईट की ज़रूरत नहीं
सितारों पे यकीन की ज़रूरत नहीं
बस अपने प्यार पे यकीन है,मुझे .
दाग और चोट मिलें तो मिल जाएँ
उनसे कोई गुरेज नहीं
बस इतनी सी अरज है
कि तुम भी मिल जाओ ,कभी .
बस इतनी सी अरज है
हटाएंकि तुम भी मिल जाओ ,कभी ....
.
तुम्हारी दुआओं का साथ बना रहे ...आमीन !
बहुत सुंदर..!!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया प्रियंका जी
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