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मंगलवार, 3 दिसंबर 2013

चुप्पियाँ

वो उदासियों के
तमाम रास्ते तय कर
खुशियों की दहलीज़ पर
चुप्पियाँ लिए बैठा था
इस बात से अनभिज्ञ
कि खिलखिलाहटों की कुंजियाँ
उसके शब्द थे ....................

मंगलवार, 30 जुलाई 2013

फ़ासले



रास्ते तो एक ही थे
फिर ये फ़ासले क्यूँ गढ़ लिए
कदम बढ़ा कर कभी कभी
फ़ासले पाट भी दिया करो
वरना अजनबीपन की नागफ़नी
उग जायेगी बीच में
हाथ बढ़ाना भी चाहोगे
तो चुभन होगी ....
बहुत मोड़ हैं न रास्ते में
नेह डोर से बंध कर रहना बस
वरना अगर मुड़ गए
तो वक्त नहीं देगी ज़िन्दगी उतना
जितना पहले दिया
हाथों का खालीपन तो सह लोगे
दिल के अकेलेपन से हार जाओगे
यकीनन !!






मंगलवार, 9 अप्रैल 2013

स्मृतियों में मानचित्र



उदासी के चौरस्ते पर
आस वाली सड़क की ओर
झिलमिलाता है तुम्हारा रंग
कि इस राह की बजरी ने भी
ओढ़ लिया है तुम्हारा इंतज़ार.

शेष तीन रास्ते खींचते हैं
अनवरत अपनी ओर..
ओढ़ा देते हैं नया आसमान
बिछा देते हैं नयी ज़मीन,
सपनों की नयी सीढ़ियां खोल देते हैं.
पाँव तले आ जाता है क्षितिज
टंग जाते हैं चमकीले सितारे
इच्छाओं के आकाश पर..
प्रलोभन के सारे अवयव
मौजूद होते हैं पूरी तीक्ष्णता में
पर इंतज़ार की आँखें
किसी मंज़िल को नहीं छूतीं .

भले ही तुम न पहुँचो
किसी रास्ते से होकर
इस चौराहे तक..
मार्ग के तुम्हारे अवरोध
अलंघ्य हो जाएँ..
विस्मृत हो जाएँ तुम्हें
संसार के सभी चौराहे..
पर कोई उपेक्षित संवेदी तंतु
अवश्य होगा ऐसा
जो धड़कता होगा प्रतिक्रिया में ..
और तुम्हारी स्मृति के
किसी न किसी कोने में  
छपा ही होगा..
इस ओर आने का मानचित्र .










शुक्रवार, 8 मार्च 2013

रेशमी चॉकलेट

दर्द की उंगली थामे
जब तुम उतर रहे होगे
निराशा की सीढियां..
दो अदृश्य हाथ
तुम पर कस रहे होंगे
अपनी स्नेह डोर की गाँठ
कि जब भी थोड़ा ठिठको
तो खींच सके पूरे ज़ोर से
तुम्हें बाहर रोशनी की ओर ....

एक छींक भी तुम्हें
ये एहसास कराने को काफ़ी होगी
कि कोई होगा जो ऐन उसी वक्त
दुआ में कह रहा होगा
गॉड ब्लेस्स यू..

आँख से टपके एक आंसू को
गाल से हटाते समय
तुम पहुंचा ही दोगे खारापन
उन होठों तक
जिन्होंने तुम्हारे आंसुओं को चूमकर
दर्द पर फ़ाहे रख दिए थे कभी ..

अनायास ही तुम्हारा हाथ
पहुँच जाएगा बैग की बाहरी जेब तक
रेशमी चॉकलेट का रैपर खोलते
महसूस लोगे देने वाले का रेशमी स्पर्श भी
कड़वी मीठी ज़िन्दगी सी चॉकलेट
जैसे ही घुलेगी ज़ुबान पर
पोर पोर को स्नेह से सहलाता
फैल जाएगा उसका असर
निकाल ही लेगा तुम्हें
भंवर से ....

और विज्ञापन ये कहेगा कि
चॉकलेट किसी प्यारे दोस्त को
दिया जाने वाला प्यार का उपहार है
या कि डिप्रेशन दूर करने वाली
असरकारक दवा .... 



बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

धूप छाँव

इक अंधेरी रात
दूर तक चली
एक जगमग ख्वाब
जागता रहा बरसों
कुछ सियाह अंधेरों ने
साथ कदम बढ़ाया
कुछ रोशन ख़यालों ने
राह दिखाई
एक सर्द आह ने
ढँक लिया वजूद
इक गर्म सांस की भाप से
धुल गया सारा दर्द
सारे पत्ते जब
ज़र्द होकर झड़ गए
ठूंठ से एक सुर्ख कोंपल
उम्मीद की तरह फूटी
ऐसा ही है बस ......
तेरी याद की धूप छाँव
और मेरे मन का रिश्ता ...!




बुधवार, 5 दिसंबर 2012

खाली काग़ज़

सारी रात.......
शब्द बुने...अर्थ गढ़े
दिन के उजाले मे
कुछ मानी तलाशे
और फिर.....
शाम की हथेली पर
बस खाली काग़ज़ रख दिया
....................
क्या वो नज़र
पढ़ पाएगी ये अफ़साना ?



शनिवार, 1 दिसंबर 2012

नींद और जाग के बीच



जब तुम
सियाह रातों में
तकदीर के उजले सफ़हों पर
सुनहरी ख़्वाब लिखना 
तो तुम्हारी जाग बनकर
निहारूंगी तुम्हारे सपनों के खाके
भर दूंगी अपने वो रंग सारे
जो होंगे तुम्हारी आकांक्षाओं से
चटख और गहरे..

जब तुम ख़्वाबों को उड़ान देना
तो जोड़ दूंगी अपने भी पंख,
बौनी सी ताक़त,
और अदम्य हौसला ..
जो दम लेंगे वहीं,
जहाँ बैठ तुम्हारे ख़्वाब सुस्तायेंगे ...

सुबह होने से ठीक पहले
जब तुम
थक जाओ
तो तुम्हारी पलकों में
वापस आऊँगी नींद बनके
और घुल जाऊंगी ज़ुबान पर
मिठास बनके
कि भोर हो जब
तो देख सकूं तुम्हारे साथ
एक उजला मीठा ख़्वाब
आकार लेते हुए .  

 

कुछ चित्र ये भी