मन की सीपियों में
कुछ कमी सी
कसकती रही
रेत कनों की तरह ..
और यादें
लगाती रहीं अनवरत
चमकीले वरक
रेत के उन कनों पर ...
जीवन सागर के
तेज़ थपेड़े
करते रहे पूरी कोशिश
फेंक देने को सीपियाँ
अपरिचय के
अनजान द्वीपों पर ...
वक्त की लहरों ने भी
अतल गहराइयों में डुबोया
बार बार पटका
कठोर चट्टानों पर ...
लेकिन सीपियों ने
अब भी
बचा रक्खे हैं
याद के चमकीले मोती
अपने अंतस में
सुरक्षित !!
कुछ कमी सी
कसकती रही
रेत कनों की तरह ..
और यादें
लगाती रहीं अनवरत
चमकीले वरक
रेत के उन कनों पर ...
जीवन सागर के
तेज़ थपेड़े
करते रहे पूरी कोशिश
फेंक देने को सीपियाँ
अपरिचय के
अनजान द्वीपों पर ...
वक्त की लहरों ने भी
अतल गहराइयों में डुबोया
बार बार पटका
कठोर चट्टानों पर ...
लेकिन सीपियों ने
अब भी
बचा रक्खे हैं
याद के चमकीले मोती
अपने अंतस में
सुरक्षित !!
और पिरो लिए हैं वो मोती मैंने एक हार में...और गले से लगाए फिरती हूँ इत्-उत..............
जवाब देंहटाएंयादें सच्ची फुल्ली shockproof होती हैं...
Anu
यार...अच्छी ,प्यारी सी.....कविता.यादों के मोतियों को सब विषमताओं के बाद भी सहेजती.सरल मन की अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंतुम्हारा वही गुण...सिलसिलेवार बहना...शब्दों का...बिना किसी व्यवधान के ,इसमें भी दिख रहा है.
तूलिका,रेत कणों की कसक और रगड़ ज़रूरी है...यादों के वरक....तेज थपेड़े.....कठोर उठापटक यह सब उन लोगों के हाथ आनी ही है...जो हिम्मत नहीं करते.या तो पहले सब झेल लो या फिर बाद में यूँ झेलो.
मोती पाने के लिए इतना मोल तो चुकाना ही पडेगा न.
कलकत्ता की दुर्गा पूजा - ब्लॉग बुलेटिन पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को दुर्गा पूजा की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें ! आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंये मोती अपनी चमक बचा लेते हैं ...
जवाब देंहटाएंमोती की चमक की रक्षा के लिए सीपी को चोट सहना पढता है
जवाब देंहटाएंफिर भी सीपियों ने बचा ही लिया यादों के खुबसुरत मोतियों को..बहुत सुन्दर तुलिका जी..पहली बार आई आप के ब्लांग मे एक नायाब मोती को पालिया..आभार..मेरे ब्लांग में भी आप का स्वागत है...
जवाब देंहटाएंवाह .. .बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबड़ी मुश्किल से ढलते हैं हैं ये मोती !
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