मुस्कुराहटों की उंगली थामे
दर्द को मिश्री सा घोलकर पी लिया
थोड़ा खिलखिला दोगे अगर
तो ख़्वाबों के मेरे कारवां पर
खुशियाँ बरस ही पड़ेंगी
ताज़ादम हो के चलना अच्छा लगेगा न ....
यूँ उदासियाँ न बिखेरा करो
चिपकी रहतीं हैं मन से तब तक
जब तक तुम खुद नहीं उतारते
आँखों का काजल फैलकर
बिखेर देता है अपना रंग .....
थोड़ा सा मुहब्बत का लाल रंग भी
दे ही जाना अबकी बार
होठों पर सजाकर देखना है मुझे
कि मेरी मुस्कुराहटों में दिखता है क्या
किसी को तुम्हारा रंग !
दर्द को मिश्री सा घोलकर पी लिया
थोड़ा खिलखिला दोगे अगर
तो ख़्वाबों के मेरे कारवां पर
खुशियाँ बरस ही पड़ेंगी
ताज़ादम हो के चलना अच्छा लगेगा न ....
यूँ उदासियाँ न बिखेरा करो
चिपकी रहतीं हैं मन से तब तक
जब तक तुम खुद नहीं उतारते
आँखों का काजल फैलकर
बिखेर देता है अपना रंग .....
थोड़ा सा मुहब्बत का लाल रंग भी
दे ही जाना अबकी बार
होठों पर सजाकर देखना है मुझे
कि मेरी मुस्कुराहटों में दिखता है क्या
किसी को तुम्हारा रंग !
मोहब्बत का रंग कभी छुपा है...
जवाब देंहटाएंज़रूर दिखेगा जानेमन....
<3
अनु
हम्म ...इश्क छुपता नहीं छुपाने से :)
हटाएंकल 04/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
यशवंत जी ...बहुत शुक्रिया
हटाएंरंग जरूर दिखता है ..
जवाब देंहटाएंचाहे जैसा भी हो ..
सुंदर अभिव्यक्ति
बहुत शुक्रिया
हटाएंसंगीता जी बहुत आभार
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कविता को लफ़्ज़ों का सलाम ...
जवाब देंहटाएंतुम्हारी खुशी..मेरे जीने का संबल है .तुम खुश होते हो न ,तो मुझे अपने ग़म याद नहीं रहते.तुम्हारी प्रसन्नता जैसे जैसे गुणात्मक मोड में जाती है वैसे-वैसे मेरे सारे दुःख जैसे ऋणात्मक मोड में चले जाते हैं .जब तेरी खिलखिलाहट ..हँसी में बदलती है ..मुझे लगता है कोई है मेरे अंदर जो मुझे भी मुस्कुराने को कह रहा है और मेरे लबों पे मुस्कान सज जाती है.
तुमसे मेरा रिश्ता ...बता न पाऊं शायद .पर,एक बात तो तय है कि तुम्हारी खुशी से मुझे मुस्कुराने की वजह मिल जाती है .ख़ुदा करे....तुम्हारी ज़िंदगी में यूँ ही तबस्सुम बिखरे रहें ..हमेशा .
ज़्यादा खुश होने की ज़रूरत नहीं है ..ऐसा कुछ ख़ास नहीं है मेरे तुम्हारे बीच.तुम्हें खुश देखने के पीछे बस एक कारण है ...मेरा स्वार्थ .पूछो न...वो कैसे?वो ऐसे...कि मेरा मुस्कुराना भी तो तभी होगा न जब तुम मुस्कुराओगे .हुआ न मेरा स्वार्थ...
बहुत ही सुन्दर कविता |
जवाब देंहटाएंइश्क में डूबी कोमल भावनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंवाह.....
:-)
बेहद प्यारी कोमल सी रचना ...
जवाब देंहटाएंथोड़ा सा मुहब्बत का लाल रंग भी
जवाब देंहटाएंदे ही जाना अबकी बार
होठों पर सजाकर देखना है मुझे
कि मेरी मुस्कुराहटों में दिखता है क्या
किसी को तुम्हारा रंग !
...एक खूबसूरत इल्तिजा ...ज़रूर क़ुबूल होगी :)
वाह..क्या खूब..!!!
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