तुम रूठ गए थे ....
तो जैसे शब्दों ने भी
कुट्टी कर ली थी मुझसे
आंसुओं की तरह आँखों में
उमड़ते तो थे
पर पलकों से ढुलक
तो जैसे शब्दों ने भी
कुट्टी कर ली थी मुझसे
आंसुओं की तरह आँखों में
उमड़ते तो थे
पर पलकों से ढुलक
गालों पर नहीं गिरते थे
अवरुद्ध था मार्ग
पुतलियों से कंठ तक ..
जैसे कोई सोता हो
फूट पड़ने को बेताब ..
.....
मौसम बरसात का नहीं है ...
पर आज कोई कविता बरसेगी
मन में घुमड़ आए हैं
तेरी याद के बादल .
अवरुद्ध था मार्ग
पुतलियों से कंठ तक ..
जैसे कोई सोता हो
फूट पड़ने को बेताब ..
.....
मौसम बरसात का नहीं है ...
पर आज कोई कविता बरसेगी
मन में घुमड़ आए हैं
तेरी याद के बादल .
बाढ़ ही आएगी अब तो.....उसकी यादें भी कोई कम थोड़ी न होंगीं....
जवाब देंहटाएं<3
अनु
मौसम बरसात का नहीं है ...
जवाब देंहटाएंपर आज कोई कविता बरसेगी
मन में घुमड़ आए हैं
तेरी याद के बादल .....बहुत बढ़िया
जब घुमड़ ही आए हैं बादल तो बारिश तो होनी ही हुई ... सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत ख्यालो से रची रचना......
जवाब देंहटाएंवाह तुलिका जी कितना प्यार भरा है इन शब्दों में
जवाब देंहटाएंआंसुओं की तरह आँखों में
जवाब देंहटाएंउमड़ते तो थे
पर पलकों से ढुलक
गालों पर नहीं गिरते थे.......बहुत बढ़िया जी
बहुत ही सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंप्यारी...
:-)
बहुत सुंदर ..... मेरी पहली टिप्पणी स्पैम में देखिएगा
जवाब देंहटाएंप्यारी भावपूर्ण रचना!!!
जवाब देंहटाएंकुट्टी अबा का खेल यूँ ही चलता रहे ...:))
जवाब देंहटाएंमौसम बरसात का नहीं है ...
पर आज कोई कविता बरसेगी
मन में घुमड़ आए हैं
तेरी याद के बादल
बहुत सुंदर तूलिका शर्मा जी !
बहुत अच्छा शब्दचित्र उकेरा आपने …
शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
याद के ये बादल ....कितना कुछ देते हैं....एक नयी कविता का सामान ..नम आँखें ...गुमसुम दिल..तेज सांसें....भरा भरा कंठ....उमडती घुमडती बातों के सिलसिले ....कौंधती प्यार की बिजलियों की सौगातें .
जवाब देंहटाएंकह दो न ..इनसे ...न आया करें ..यूँ न छाया करें ...मुझे इनसे कुछ नहीं चाहिए क्यूंकि मुझे तेरी यादें नहीं ...तू चाहिए