घुप्प अंधेरी रात के खेत में
बन्द आँखों से कल जो हमने
सितारों की फ़सल बोई थी
सुबह सूरज आकर रौंद गया है ...
उन अँखुआए सितारों से कहना है
पड़े रहें सर झुकाए चुपचाप
कुछ घण्टों में ढल जाए जब
रौशनी का सामराज
तो खोल लें बाँहें अपनी
मिचमिची आँखों की टिमटिम से
चंद्रकिरणों की अंगुलियाँ पकड़
चमक जाएँ आसमान के
काले कैनवस पर ...
कहना है उस अभिमानी आकाश से
कि उसके विस्तृत दामन पर
जो गिनकर वक़्त बांटा है घड़ी ने
सूरज के बराबर ही हिस्सा है
उसमें सितारों का भी ............!
जवाब देंहटाएंकहना है उस अभिमानी आकाश से
कि उसके विस्तृत दामन पर
जो गिनकर वक़्त बांटा है घड़ी ने
सूरज के बराबर ही हिस्सा है
उसमें सितारों का भी ......लो आकाश पर भी होड़ लग गई,धरती का भाप आकाश तक !
रश्मि जी ...सूरज बेईमानी तो करता है न ... चाँद सितारे रहते वहीं हैं मगर सूरज के आगे फीके :(
हटाएंबहुत सुन्दर तूलिका....
जवाब देंहटाएंबड़े सारे ख़याल आ रहे हैं इसे पढकर...
कुछ कायदे का पक सका भेजे में, तो पढ़वाती हूँ :-)
अनु
अहा ! इंतज़ार रहेगा अनु
हटाएंतूलिका....सितारों का हिस्सा ज़रूर बराबर का होगा.....यूँ भी चाँद की रोशनी से तो कहीं बेहतर है चमक सितारों की .जैसी भी है...जितनी भी है ,अपनी है.चाँद के पास तो जो कुछ है वो सूरज से लिया हुआ है.
जवाब देंहटाएंकाले कैनवस पर तो इन स्वाभिमानी तारों को चमकना ही है ...अपनी जीवनी शक्ति का परिचय भी तो देना है ,सबको.ये सपने हैं..हम सबके जो सितारों की तरह टिमटिमाते हैं..याद दिलाते रहते हैं कि .....निराश नहीं होना है ....हमारे हिस्से की चीज़ हमसे कोई नहीं ले सकता ...वो तो मिल के रहेगी ...सूरज साथ नहीं देगा न सही हम चाँद की उंगली थाम कर आगे बढ़ लेंगे ...रुकेंगे नहीं,थमेंगे नहीं .....कभी.
क्या गज़ब लिखती हो यार...सोच की दाद देनी चाहिए.लिखती रहना यूँ ही,हमेशा.
ये जो आसमान है न ये भी मजबूर है सूरज की ज़िद के आगे ....सूरज उसका लाडला बेटा जो है ...सितारों की उपेक्षा होती है न तो जी दुखता है ..जो ये टिमटिमाते सपनीले सितारे न होते तो क्या रात की ज़िन्दगी इतनी खूबसूरत हो सकती थी ....
हटाएंऔर तुझे तो मेरी हर बात पसंद आती है, उसमें हुनर मेरा नहीं, स्नेह है मुझ पर .... :)
http://vyakhyaa.blogspot.in/2012/09/blog-post_16.html
जवाब देंहटाएंअरे वाह ! पहली बार जाना हुआ यहाँ ...जुदा अंदाज़ है बुलेटिन का ....बहुत शुक्रिया मुझे स्थान देने का
हटाएंसूरज के बराबर ही हिस्सा है
जवाब देंहटाएंउसमें सितारों का भी ............!
वाह कितना सुन्दर विवेचन किया है।
वंदना जी ..पसंद करने के लिए ह्रदय से आभार
हटाएं
जवाब देंहटाएंकहना है उस अभिमानी आकाश से
कि उसके विस्तृत दामन पर
जो गिनकर वक़्त बांटा है घड़ी ने
सूरज के बराबर ही हिस्सा है
उसमें सितारों का भी ............!
बहुत सुन्दर
घुप्प अंधेरी रात के खेत में
जवाब देंहटाएंबन्द आँखों से कल जो हमने
सितारों की फ़सल बोई थी
सुबह सूरज आकर रौंद गया है ...
DIL KO CHHOOO GAYEE...
बहुत शुक्रिया मुकेश जी
हटाएंसच में ये दिन और रात उस ईश्वर के बनते हुए जिंदगी के अहम् हिस्से हैं जिसके बिना हर जिंदगी अधूरी हैं ....
जवाब देंहटाएंऔर दोनों को सामान हक़ मिलना चाहिए ...क्यूँ अनु जी
हटाएंसुन्दर भाव ,सुन्दर अभिव्यक्ति ;
जवाब देंहटाएंमेरी "स्मृति के पन्नों से "पर एकबार नज़र डाले और अपनी अमूल्य राय दें.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंBeautiful writing and beautiful presentation Tulika ji
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