"एक मुकम्मल तस्वीर बनाने की चाहत में ..... झरते हैं कुछ रंग ....घुलती हैं कुछ भावनाएं ..सिमट जाते हैं कुछ स्वप्न ...यही है ..मन के कैनवस पर तूलिका के शब्द-रंग "
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एहसासों की महक भी लिए जाना...
जवाब देंहटाएंतभी तो वो पहचानेगा..........
<3
अनु
अनु ...वो बिना एहसासों के सिर्फ़ सूने शब्दों से भी पहचान लेगा ..
हटाएंvaah......tulika ji aapki ye rachna mujhe bahut pasand aayi
जवाब देंहटाएंकितने सुन्दर एहसास ..चित्र भी सुन्दर ...मुग्ध करती रचना ...!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर ....!!
यार ...सारी इन्द्रियों से जब बादल कुछ न कुछ लेकर जाएगा ...उसके मन की अंधेरी गुफा में बरसने ..तो तैयार रहना तेरी प्रीत जो अभी ता दरवेश सी रहती है वहाँ....वो वहीं जड़ें जमा लेगी...हमेशा के लिए .
जवाब देंहटाएंकहाँ से भावनाओं के भाप सोखे और शब्दों के बादल बनाये ... इन्द्र भी हैरां हैं
जवाब देंहटाएंhttp://vyakhyaa.blogspot.in/2012/10/blog-post_9.html
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