तुम बिखरो ..
तो समेट लूंगी
हर तिनका तुम्हारा ....
हर बिखरे तार से बुन दूँगी
एक नया रिश्ता ....
हर कतरे से
एक नया खज़ाना गढ़ लूंगी
हर बहके भाव को
डपट कर ले आऊंगी
तुम्हारी हर अमानत
सौंप दूँगी तुम्हें
......
बिखरना मत मेरी जान
क्योंकि तुम सलामत हो
तो सलामत हैं
मेरी दोस्ती की निधि
तुम साथ होगी तो
एक बार फिर बाँट लेंगे
तनहाइयों के लम्हे
दुःख के कतरों को
चिंदी चिंदी कर
उडा देंगे,फूंक मार कर
और जी लेंगे
खुशियों के उन पलों को
जो बुलबुलों की तरह
उड़ जाते हैं
यदि जिए न जाएँ ...
तो समेट लूंगी
हर तिनका तुम्हारा ....
हर बिखरे तार से बुन दूँगी
एक नया रिश्ता ....
हर कतरे से
एक नया खज़ाना गढ़ लूंगी
हर बहके भाव को
डपट कर ले आऊंगी
तुम्हारी हर अमानत
सौंप दूँगी तुम्हें
......
बिखरना मत मेरी जान
क्योंकि तुम सलामत हो
तो सलामत हैं
मेरी दोस्ती की निधि
तुम साथ होगी तो
एक बार फिर बाँट लेंगे
तनहाइयों के लम्हे
दुःख के कतरों को
चिंदी चिंदी कर
उडा देंगे,फूंक मार कर
और जी लेंगे
खुशियों के उन पलों को
जो बुलबुलों की तरह
उड़ जाते हैं
यदि जिए न जाएँ ...
दोस्ती की निधि अनमोल है !
जवाब देंहटाएंपर पहचानने वाला चाहिए न
हटाएंसहेज लिया आपने इस खूबसूरत रिश्ते को....इस अनमोल कविता में.
जवाब देंहटाएंसुन्दर!!!
अनु
अगर रिश्ते सहेज लिए जाते ताउम्र ..तो खुशनसीबी न हो जाती ...पसंद करने का शुक्रिया अनु
हटाएंतुम सलामत हो
जवाब देंहटाएंतो सलामत हैं
मेरी दोस्ती
बिल्कुल सच .... इससे बढ़कर तो कुछ भी नहीं
जी! शुक्रिया ...एक सच्चे दोस्त के नाम है ये कविता
हटाएंमन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
जवाब देंहटाएंजी बहुत शुक्रिया
हटाएंबहुत सुंदर लिखा है..
जवाब देंहटाएं...
"धीमे-धीमे पकता..
बीज से कली..
फिर फल..
समय-चक्र सीमा..
स्वत: ही..
अभिभूत करती है..
कुछ संबंधों को प्रगाढ़..
मित्रता से होता..
जीवन-श्रृंगार..!!!"
...
सच है न प्रियंका जी ...मित्रता जीवन का श्रृंगार है न
हटाएंतूलिका........यह तोहफा...ज़िंदगी में मिले कुछ खूबसूरत तोहफों में से एक है .मेरे इस जन्मदिन को अनूठा बनाने के लिए ....शुक्रिया नहीं कहूँगी ...बल्कि ढेर सा प्यार .
जवाब देंहटाएंयह जो दुआ है न ..उसके लिए......मुंह से ,आमीन के अलावा कुछ कहने को नहीं है .
वही सब जो मैं कहना चाहती हूँ,तुम्हें ....तुमने कह दिया.
पक्का वादा ....जीवन के साथ भी ...जीवन के बाद भी ....दोस्ती हमेशा.
यार...अबसे खुशियों के पलों को जियेंगे...बुलबुलों की तरह उड़ने नहीं देंगे
दुखों की ऎसी की तैसी .