"एक मुकम्मल तस्वीर बनाने की चाहत में ..... झरते हैं कुछ रंग ....घुलती हैं कुछ भावनाएं ..सिमट जाते हैं कुछ स्वप्न ...यही है ..मन के कैनवस पर तूलिका के शब्द-रंग "
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रोपा था हथेली पर एक बीज... सोचा था ...हाथ की लकीरों में उगेगी एक लकीर प्यार की बढ़ते बढ़ते पहुँच जाएगी तुम्हारे हाथों तक .. एक साल ऐसा...
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वो उदासियों के तमाम रास्ते तय कर खुशियों की दहलीज़ पर चुप्पियाँ लिए बैठा था इस बात से अनभिज्ञ कि खिलखिलाहटों की कुंजियाँ उसके शब्द थे ...
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कितने ही ख्वाबों को यादों की जिल्द लगा पलकों की कोरों पर करीने से सहेजा है ... जैसे अलमारी में किताबें सजाता है कोई . कितने ही ख्व...
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कुछ यादें कुछ सपने अपने थाती हैं जीवन की बक्से में कुछ तस्वीरें और पाती है प्रियतम की . आँखों भर आकाश खुल...
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लड़की कस के पकड़ लेती उँगलियों में अपना ब्रश सारे गहरे रंग समेट .. ब्रश की नोक पर लगा लेत...
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स्त्रियाँ कब तय करती हैं रचनाओं का अनंत विस्तार? कब उतरती हैं .. काव्य की अतल गहराई में? और कब सिरजती हैं साहित्य के दुर्लभ पृष्ठ ? ज...
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उसके पांवों के नीचे सख्त रास्ता नहीं था उसकी जगह ले चुकी थी एक तीव्र प्रवाहमयी नदी ... धारा के विपरीत तैरने और शिखर तक पहुँच...
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कुछ आधी अधूरी बातें याद के बटुए की चोर जेब में छिपा लीं .. छोटे छोटे रुक्के जो यहाँ वहाँ पड़े थे आँचल की गिरह से बाँध लिए .. ...
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एक मील का पत्थर है कहता कुछ नहीं दिखाता रहता है सिर्फ़ दूरियाँ... एक पत्थर है संगेमरमर ताजमहल में जड़ा महान प्रेम के बेजान सुबूत सा ...
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आज फिर मेरी खामोशियाँ.. तुम्हें छूकर खामोश ही लौट आयी हैं. कितने सवाल कर चुकी हूँ ... कितने उलाहने दे चुकी हूँ ......
जिसे एक आवाज़ में आना होता...वो छोड़ के ही क्यूँ जाता???खैर ,
जवाब देंहटाएंकुछ लोग होते हैं ना....जिनके होने भर से जीवन में रंग भर जाते हैं.
यार यह प्रेम परबत ठंडा कैसे होता है,मुझे भी बताना....बड़ी ज़रूरत है .सीधी सी बात कम शब्दों में कह डाली है,तुमने.
प्रेम तो परबत सा है .....वक़्त की बर्फ पड़ी है बस .....दुःख कहीं नीचे दब गए है ...अन्दर की आग कहीं ज्वालामुखी न बन जाये ....इसलिए बाहर से प्रेम की ऊष्मा तो चाहिए न ...
हटाएंथोड़ी सी ऊष्मा दो .... प्रेम की ऊष्मा .... बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंहाँ रश्मि ! प्रेम कि ऊष्मा ...थोड़ी सी
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